🕒 Published 4 weeks ago (5:50 PM)
पटना:बिहार में विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही नीतीश कुमार की सरकार ने बड़ा राजनीतिक दांव चला है। हाल ही में हुई कैबिनेट बैठक में कुल 43 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई, जिनमें एक अहम प्रस्ताव यह भी था कि अब राज्य सरकार की सीधी भर्तियों में केवल बिहार की मूल निवासी महिलाओं को 35% आरक्षण मिलेगा।
पहले सभी महिलाओं को मिलता था लाभ
अब तक यह आरक्षण सभी महिलाओं के लिए लागू था, चाहे वे बिहार की निवासी हों या किसी अन्य राज्य से संबंध रखती हों। लेकिन अब इस आरक्षण का लाभ केवल बिहार की मूल निवासी महिलाओं को ही मिलेगा। इस बदलाव के बाद आम जनता के बीच यह सवाल उठ रहा है कि जब पहले से महिलाओं के लिए आरक्षण का प्रावधान था, तो फिर यह नई व्यवस्था क्यों लाई गई है?
डोमिसाइल मुद्दे पर जवाब समझा जा रहा है यह कदम
बताया जा रहा है कि राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की ओर से हाल में डोमिसाइल नीति को लेकर लगातार मांगें उठाई गई थीं। पार्टी ने अपनी सरकार बनने पर 100% डोमिसाइल नीति लागू करने का वादा भी किया था। ऐसे में नीतीश सरकार का यह फैसला उसी डोमिसाइल डिबेट का जवाब माना जा रहा है।
मुख्य सचिव का स्पष्टीकरण
राज्य के मुख्य सचिव एस. सिद्धार्थ ने प्रेस वार्ता में कहा कि “कैबिनेट ने 43 एजेंडों पर मुहर लगाई है, जिनमें से दो मुख्य बिंदु हैं—युवा आयोग का गठन और मूल निवासी महिलाओं को आरक्षण।” उन्होंने बताया कि युवा आयोग 18 से 45 वर्ष के युवाओं के लिए कार्य करेगा और इसमें छात्रों, बेरोजगारों, बाहर काम करने वाले प्रवासी युवाओं को शामिल किया जाएगा।
सीधी नियुक्तियों के आरक्षण के बारे में उन्होंने कहा कि अब यह व्यवस्था सभी सरकारी विभागों और संवर्गों में लागू होगी। इसका लाभ केवल उन महिलाओं को मिलेगा जो बिहार की मूल निवासी हैं।
चुनावी रणनीति मानी जा रही है यह घोषणा
विशेषज्ञों का मानना है कि नीतीश सरकार का यह फैसला विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए लिया गया है, ताकि महिला मतदाताओं को सीधे तौर पर साधा जा सके और विपक्ष की डोमिसाइल नीति की मांगों को जवाब भी दिया जा सके।