🕒 Published 1 month ago (1:57 PM)
नई दिल्ली। पाकिस्तान में बीते कुछ सप्ताहों से ज़मीन लगातार हिल रही है। खासकर कराची और उसके आस-पास के क्षेत्रों में भूकंप की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। जून महीने में कराची में लगभग 60 बार धरती कांपी, जिससे लोगों में दहशत और मानसिक तनाव बढ़ गया है।
भारत के ऑपरेशन के बाद से बढ़ी हलचल
भारत द्वारा कथित रूप से किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद से पाकिस्तान में भूकंपीय गतिविधियों में अचानक तेजी आई है। बताया जा रहा है कि 6-7 मई की रात भारत ने पहली सैन्य कार्रवाई की थी, और जवाब में 9-10 मई को पाकिस्तान ने पलटवार किया। इसी दौरान चर्चा रही कि भारत के हमले से पाकिस्तान के परमाणु अड्डों को क्षति पहुंची हो सकती है, जिससे रेडियोधर्मी रिसाव का खतरा भी बना है। हालांकि इस संबंध में किसी आधिकारिक पुष्टि की जानकारी नहीं है।
जून में 60 बार हिली धरती
जून महीने के भीतर कराची और उसके आसपास के इलाकों में 60 बार भूकंप के झटके महसूस किए गए। इससे पहले मई में भी कई बार झटके आए थे। मलीर, लांधी, गदप, डीएचए सिटी और कोरंगी जैसे क्षेत्रों में भूकंप की तीव्रता भले ही मध्यम रही, लेकिन उनकी संख्या ने लोगों को मानसिक रूप से झकझोर दिया है।
स्थानीय लोग दहशत में
कराची के निवासी लगातार डर और तनाव में हैं। लांधी की एक फैक्ट्री में काम करने वाले जहीर उल हसन ने बताया कि 2 जून को आए एक झटके के दौरान उन्हें लगा जैसे कुछ बहुत बड़ा होने वाला है। वहीं मलीर की निवासी निगहत खान ने कहा कि जैसे ही झटका लगता, वे अपने पूरे परिवार के साथ घर से बाहर आ जाते थे, चाहे दिन हो या रात।
सरकारी स्तर पर चिंता, लेकिन राहत की कोई स्पष्ट योजना नहीं
कराची के मेयर मुर्तजा वहाब ने बताया कि 2 जून से 22 जून के बीच लगातार आए झटकों ने लोगों को गहरी चिंता में डाल दिया है। हालांकि पाकिस्तान मौसम विभाग और विशेषज्ञों का मानना है कि बड़े भूकंप की संभावना कम है। उनका कहना है कि बार-बार आने वाले कम तीव्रता के भूकंप ज़मीन के अंदर जमा दबाव को कम कर देते हैं, जिससे किसी बड़े खतरे की आशंका घट जाती है।
भूकंप की वजह अब भी रहस्य
हालांकि विशेषज्ञ लोगों को आश्वस्त कर रहे हैं, पर यह स्पष्ट नहीं है कि इतने सारे झटके अचानक क्यों आने लगे। क्या इसका संबंध किसी भूगर्भीय बदलाव से है या यह परमाणु गतिविधियों से जुड़ा है, इस पर अभी तक कोई स्पष्ट जानकारी सामने नहीं आई है।
फिलहाल, 22 जून के बाद से ज़मीन शांत है, लेकिन लोगों के मन में डर अब भी कायम है। इस परिस्थिति में पाकिस्तान को चाहिए कि वह न केवल वैज्ञानिक विश्लेषण करे, बल्कि नागरिकों को मानसिक सहायता और आपदा से निपटने की तैयारी भी सुनिश्चित करे।