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मराठी नहीं बोलने पर MNS कार्यकर्ताओं ने गुजराती दुकानदार को पीटा, वीडियो वायरल, सात पर FIR दर्ज

महाराष्ट्र में भाषा को लेकर सियासी घमासान के बीच मनसे (MNS) कार्यकर्ताओं की गुंडागर्दी का एक और शर्मनाक चेहरा सामने आया है। ठाणे के मीरा रोड इलाके में एक गुजराती दुकानदार को महज इसलिए पीट दिया गया क्योंकि वह मराठी में जवाब नहीं दे सका। घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें मनसे कार्यकर्ता दुकानदार को घेरकर थप्पड़ मारते और धमकाते नजर आ रहे हैं।

घटना मीरा रोड के एक फास्ट फूड सेंटर की बताई जा रही है। वीडियो में साफ दिख रहा है कि राज ठाकरे की पार्टी मनसे के कार्यकर्ता दुकानदार से भाषा को लेकर बहस कर रहे हैं। बहस के दौरान एक कार्यकर्ता दुकानदार से कहता है, “जब तुम्हें परेशानी थी, तब तुम MNS ऑफिस आए थे, और अब पूछ रहे हो कि मराठी क्यों बोलनी चाहिए?” जवाब में दुकानदार कहता है कि उसे नहीं पता था कि अब मराठी बोलना अनिवार्य हो गया है।

इतना सुनते ही कार्यकर्ता भड़क उठते हैं और उसे थप्पड़ मारने लगते हैं। एक व्यक्ति गाली देते हुए कहता है कि अगर मराठी नहीं बोल सकते तो इस इलाके में कारोबार नहीं कर सकते। दुकानदार जब यह कहता है कि वह मराठी सीख लेगा, तो भीड़ में से एक कार्यकर्ता कहता है, “हां, ऐसा कहो। लेकिन ये क्यों पूछ रहे हो कि मराठी क्यों सीखनी चाहिए? ये महाराष्ट्र है।”

दुकानदार के “सभी भाषाएं बोली जाती हैं” कहने पर स्थिति और बिगड़ जाती है। कार्यकर्ता उस पर थप्पड़ों की बौछार कर देते हैं। एक के बाद एक चार से पांच थप्पड़ दुकानदार को मारे जाते हैं। दुकानदार सफाई देने की कोशिश करता है, लेकिन उसे बार-बार चुप कराया जाता है और धमकाया जाता है।

इस मामले में काशीमीरा पुलिस ने संज्ञान लेते हुए मनसे के सात कार्यकर्ताओं के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (BNS) की विभिन्न धाराओं में एफआईआर दर्ज कर ली है। पुलिस का कहना है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए कड़ी कार्रवाई की जाएगी और किसी को कानून हाथ में लेने की इजाजत नहीं दी जाएगी।

बीजेपी विधायक ने बताई घटना को शर्मनाक
मीरा-भायंदर के बीजेपी विधायक नरेंद्र मेहता ने भी इस घटना की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा, “मराठी भाषा हमारा गौरव है, लेकिन इंसानियत का भी एक दायरा होता है। भाषा का सम्मान जरूरी है, पर यह प्रेम और सहिष्णुता से होना चाहिए, न कि हिंसा से।”

पहली बार नहीं हुई ऐसी घटना
यह पहला मामला नहीं है जब मराठी के बजाय हिंदी या दूसरी भाषा बोलने पर मनसे कार्यकर्ताओं ने किसी को निशाना बनाया हो। इससे पहले भी राज्य के कई हिस्सों में इस तरह की घटनाएं हो चुकी हैं। तब तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने साफ कहा था कि मराठी भाषा का सम्मान होना चाहिए, लेकिन कानून हाथ में लेने वालों पर कार्रवाई तय है।

मीरा रोड की घटना ऐसे समय में सामने आई है जब राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे एकजुट होकर हिंदी अनिवार्यता के आदेश के खिलाफ सरकार पर दबाव बना रहे हैं। पांच जुलाई को दोनों ठाकरे भाई एक साझा विजय रैली निकालने वाले हैं, जिसमें शिंदे और पवार गुट के नेताओं की भी मौजूदगी की संभावना है।

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