🕒 Published 1 month ago (6:50 PM)
चंडीगढ़। हरियाणा सरकार ने जमीन अधिग्रहण से जुड़े नियमों में ऐतिहासिक बदलाव करते हुए भूमि मालिकों को अब कलेक्टर रेट की चार गुना कीमत देने का निर्णय लिया है। इससे पहले तक सिर्फ दो गुना मुआवजा ही दिया जाता था। सरकार का दावा है कि इस बदलाव से भूमि अधिग्रहण से जुड़े विवादों का समाधान आसान होगा।
नीति में संशोधन के आदेश जारी
राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुमिता मिश्रा ने 25 नवंबर 2021 को अधिसूचित नीति में संशोधन के आदेश जारी कर दिए हैं। इसका उद्देश्य विभिन्न विभागों और उनकी संस्थाओं द्वारा अलग-अलग मानदंड अपनाने के कारण कानूनी जटिलताओं से बचाव करना है।
बेंचमार्क के रूप में कलेक्टर रेट
अब भूमि अधिग्रहण, पुनर्वासन और पुनर्स्थापन से जुड़े मामलों में मुआवजा, केंद्रीय भूमि अधिग्रहण कानून के अनुरूप होगा।
- बिल्डरों और निजी इकाइयों द्वारा खरीदी गई जमीन पर इच्छित उपयोग से पहले निर्धारित शुल्क और प्रभार वसूले जाएंगे।
- कृषि प्रयोजनों के लिए निर्धारित कलेक्टर रेट को बेंचमार्क माना जाएगा, जिससे 4 गुना राशि की गणना होगी।
- यह प्रावधान अंतिम उपयोग चाहे जो भी हो, सभी पर समान रूप से लागू होगा।
मुख्यमंत्री की अनुमति अनिवार्य
नीति में एक अहम बदलाव यह भी किया गया है कि
- यदि कोई बिल्डर या निजी संस्था किसी जमीन के लिए या तो कलेक्टर रेट की चार गुना कीमत, या
- पिछले एक साल में आसपास की समान संपत्ति के दो सबसे ऊंचे रेट के औसत मूल्य को देने को तैयार है (जो भी अधिक हो),
तो विभाग या स्थानीय प्राधिकरण मुख्यमंत्री से अनुमोदन लेकर उचित निर्णय ले सकते हैं।
25% अग्रिम भुगतान के साथ प्रस्ताव देना होगा
ऐसे मामलों में इच्छुक संस्था को कुल राशि का 25% अग्रिम भुगतान कर संबंधित विभाग या संगठन प्रमुख को लिखित प्रस्ताव देना होगा, जिसमें स्पष्ट सहमति दर्शानी होगी।