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NATO Summit 2025: GDP के 5% रक्षा खर्च पर बंटा यूरोप, 2035 तक रक्षा खर्च में भारी बढ़ोतरी

नई दिल्ली, हेग (नीदरलैंड्स) में  NATO Summit 2025 का आयोजन किया गया । समिट में NATO के सदस्य देशों ने एक ऐतिहासिक रक्षा खर्च योजना पर समझौता हुआ है। नाटो सदस्य देश 2035 तक GDP का 5% तक रक्षा पर खर्च करने से संबंधित है।  नाटो देशों के बीच हुए इस समझौते के तहत  GDP का 3.5% हिस्सा हथियारों और सैन्य उपकरणों पर खर्च होगा। जबकि बाकी 1.5% साइबर सुरक्षा, सैन्य ढांचे और संचार सहयोग जैसे क्षेत्रों में खर्च किया जाएगा। इसकी समीक्षा हर 4 साल में की जाएगी। NATO का रक्षा खर्च बढ़ाने का  मकसद रूस और चीन जैसे देशों को सामरिक सन्देश देने के साथ NATO की सामूहिक रक्षा क्षमताओं को मजबूती देना भी है।

NATO Summit 2025 कुछ ने किया स्वागत तो कई देश दिखे सहमत

NATO Summit 2025 में कुछ देशों ने रक्षा बजट बढ़ाने में अपनी असमर्थता जताई है तो कई देशों ने इस फैसले का स्वागत किया, लेकिन कुछ देशों ने इसमें लचीलेपन की मांग की है ।

  • स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज़ ने कहा: “हमारी आर्थिक स्थिति वर्तमान में 5% खर्च की अनुमति नहीं देती। 2% में भी हमारी सेनाएं सक्षम हैं।”

  • स्लोवाकिया और बेल्जियम ने भी अपने-अपने आर्थिक हालात का हवाला देते हुए NATO से ‘लचीलापन’ मांगा।

  • स्लोवाकियाई प्रधानमंत्री ने कहा: “हमारी प्राथमिकताएं फिलहाल हथियार नहीं, बल्कि घरेलू कल्याण और पुनर्निर्माण हैं।”

वहीं पोलैंड, लातविया, लिथुआनिया और एस्तोनिया जैसे रूस-सीमा से सटे देश इस कदम को अत्यंत आवश्यक और समय की मांग मानते हैं।

सहमति न जताने वाले नाटो देशों को ट्रंप की चेतावनी

2024 में दोबारा अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के बाद डोनाल्ड ट्रंप की वैश्विक मंचों  सक्रियता बढ़ गई। इस शिखर  सम्मेलन में ट्रंप ने यूरोपिय नेताओं से मुलाकात की । इस दौरान उनके कई बयानों ने कई देशों को चौंका दिया है । इस दौरान ट्रंप ने दावा किया उन्होंने ही ईरान इजराइल में युद्ध खत्म कराने में अहं भूमिका निभाई है। NATO देशों को 2035 तक 5% रक्षा खर्च के लिए राजी किया।” इसके साथ ही ट्रंप ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह भी स्पष्ट कर दिया कि अगर नाटो के जो भी  देश रक्षा खर्च नहीं बढ़ाते तो अमेरिका उन्हें “व्यापार के ज़रिए कीमत चुकाने पर मजबूर करेगा।”

क्या कहता है विश्लेषण?

राजनयिकों का मानना है कि यह समझौता NATO के इतिहास में सबसे बड़ा सामूहिक रक्षा निवेश है। हालांकि इसे लागू करना एक बड़ी चुनौती साबित हो सकता है, खासकर आर्थिक असमानता वाले देशों के लिए। NATO सम्मेलन 2025 में जहां एक ओर भविष्य की रक्षा नीति का बड़ा खाका खींचा गया, वहीं डोनाल्ड ट्रंप की उपस्थिति ने इसे और अधिक राजनीतिक रंग दे दिया। आने वाले महीनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या सभी सदस्य देश इस भारी-भरकम रक्षा खर्च योजना के प्रति वाकई प्रतिबद्ध रहेंगे, या यह केवल सम्मेलन की घोषणाओं तक ही सीमित रहेगा।

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