🕒 Published 14 hours ago (1:50 PM)
डेस्क। शादी के बाद पति-पत्नी के रिश्ते में कई बदलाव आते हैं। शादी से पहले जो समय, समझ और जुड़ाव होता है, वो अक्सर शादी के बाद कम होता नजर आता है। कई बार पत्नियां जब अपने पति से भावनाओं की बात करती हैं तो उन्हें अनसुना कर दिया जाता है या यह कहकर टाल दिया जाता है कि वे ज़रूरत से ज़्यादा सोच रही हैं। इससे पत्नी असमंजस में पड़ जाती है कि क्या वो ही गलत सोच रही है या फिर पति का व्यवहार वास्तव में बदल गया है।
रिलेशनशिप कोच आलोक बताते हैं कि ऐसा व्यवहार अक्सर पति के इमोशनली एब्सेंट होने का संकेत हो सकता है। यानी वे शारीरिक रूप से आपके साथ हों लेकिन भावनात्मक रूप से दूरी बनाए रखते हों। आइए जानते हैं कि ऐसे पति की कौन सी आदतें इस ओर इशारा करती हैं, और पत्नी को इस स्थिति में क्या करना चाहिए।
पति के इमोशनली एब्सेंट होने के संकेत
फोन में ज्यादा व्यस्त रहना
अगर आपका पति हर वक्त फोन में डूबा रहता है, बात करने के दौरान भी ध्यान नहीं देता, तो ये इशारा हो सकता है कि वो आपके साथ मानसिक रूप से मौजूद नहीं है।
भावनाओं को नजरअंदाज करना
पत्नी जब अपनी भावनाएं ज़ाहिर करती है और पति उन्हें गंभीरता से नहीं लेते, या बार-बार कह देते हैं कि ‘तुम ज़रूरत से ज़्यादा सोच रही हो’, तो यह संकेत है कि वह आपकी भावनाओं को महत्व नहीं दे रहे।
आपके बारे में नहीं पूछना
अगर पति हमेशा अपनी बातों में ही उलझे रहते हैं, लेकिन यह जानने की कोशिश नहीं करते कि आप कैसा महसूस कर रही हैं, तो यह भी इमोशनल दूरी का साफ संकेत हो सकता है।
सतही बातचीत तक सीमित रहना
अगर बातचीत में कोई गहराई न हो, पति केवल सामान्य बातें करें और दिल की बात साझा करने से बचें, तो यह उनके इमोशनली अनअवेलेबल होने का संकेत हो सकता है।
साथ होकर भी अकेलापन महसूस होना
सबसे बड़ा संकेत यही है – अगर आप पति के साथ रहकर भी खुद को अकेला महसूस करती हैं, तो यह रिश्ते में भावनात्मक दूरी का साफ संकेत है।
क्या करें जब पति इमोशनली एब्सेंट हों
स्थिति को स्वीकार करें
सबसे पहले यह समझें कि यह आपकी गलती नहीं है। खुद को दोष देना बंद करें और यह स्वीकार करें कि यह स्थिति है जिसे समझदारी से संभालना होगा।
संवेदनाओं को स्पष्ट रूप से साझा करें
अपने जज़्बातों को शांति से, बिना इल्ज़ाम लगाए, शब्दों में ज़ाहिर करें। कहें कि आप अकेलापन महसूस करती हैं, न कि ये कि वो गलत हैं।
इमोशनल बाउंड्री सेट करें
ये स्पष्ट करें कि आपको रिश्ते से क्या चाहिए और किन बातों को आप स्वीकार नहीं कर सकतीं। इससे संवाद बेहतर हो सकता है।
स्वयं की देखभाल पर ध्यान दें
अपनी पसंद की चीज़ें करें, खुद के लिए समय निकालें और मानसिक रूप से मजबूत बनें। यह रिश्ते में आपको बेहतर स्थिति में रखेगा।
समझने की कोशिश करें, बदलने की नहीं
अपने पार्टनर को ठीक करने या बदलने की कोशिश न करें। उन्हें समझने और उन्हें अपनी ज़रूरतें बताने की कोशिश करें। भावनात्मक रूप से मज़बूत होना रिश्ते को भी मज़बूत बना सकता है।
भावनात्मक दूरी रिश्तों में बड़ी दरार बन सकती है, लेकिन समय पर समझदारी और संवाद से इसे कम किया जा सकता है।