🕒 Published 1 day ago (8:55 PM)
चंडीगढ़। हरियाणा की नायब सैनी सरकार ने राजस्व रिकॉर्ड में बड़ी ऐतिहासिक पहल करते हुए एक अहम निर्णय लिया है। मुगल काल के बादशाह अकबर के समय से जमीन से जुड़े दस्तावेजों में इस्तेमाल हो रहे फारसी-अरबी शब्द अब हटाए जाएंगे। इनकी जगह अब सरल हिंदी और अंग्रेजी के शब्दों को उपयोग में लाया जाएगा, जिससे आम जनता को अपने जमीन से जुड़े दस्तावेज समझने में आसानी हो।
साल 2023 में पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए रिटायर्ड आईएएस अधिकारी वीएस कुंडू की अध्यक्षता में एक “वन मैन रेवेन्यू कमीशन” का गठन किया था। लगभग ढाई साल के शोध और विश्लेषण के बाद इस कमीशन ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है, जिसमें ऐसे करीब 900 शब्दों को हटाने की सिफारिश की गई है।
फर्जीवाड़ों की जड़ बन चुके हैं पुराने शब्द
वर्तमान में जमीन से जुड़े कागजातों में वाहिब, मुतबन्ना, माहूना, मालगुजारी, वसीका, रफा-ए-आम, तरमीम, जद्दी, बारानी और फरीक अव्वल जैसे शब्दों का प्रयोग होता है, जो आम लोगों की समझ से बाहर होते हैं। इस जटिलता का फायदा उठाकर कई जगहों पर फर्जीवाड़े की घटनाएं सामने आई हैं।
राजस्व आयोग ने इस समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए इन शब्दों का सरल हिंदी और अंग्रेजी अर्थ सहित एक विस्तृत सूची तैयार की है। आयोग का मानना है कि शब्दों की सरलता से न केवल पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि आम आदमी को दस्तावेजों को समझने में भी सहूलियत होगी।
टोडरमल के समय से चली आ रही परंपरा होगी खत्म
बता दें कि फारसी शब्दों का इस्तेमाल जमीन रिकॉर्ड में 16वीं शताब्दी में अकबर के वित्त मंत्री टोडरमल के समय शुरू हुआ था। अंग्रेजों के शासनकाल में भी इनका प्रयोग जारी रहा और आज तक राजस्व विभाग में वही शब्द चलते आ रहे हैं। लेकिन इन्हें समझना केवल विभागीय अधिकारी-कर्मचारियों या वसीका नवीसों के बस की बात होती थी। अब यह परंपरा बदलेगी।
जारी होगी नई शब्दावली की बुकलेट
सरकार अब इन फारसी-अरबी शब्दों के स्थान पर हिंदी और अंग्रेजी विकल्पों की एक बुकलेट प्रकाशित करेगी। यह बुकलेट सभी जिला उपायुक्तों को भेज दी गई है और उनसे सुझाव भी मांगे गए हैं। सभी डीसी से राय मिलने के बाद फाइनल सूची को राजस्व विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा। इससे आम नागरिक अपने जमीन दस्तावेजों में लिखे शब्दों का सीधा अर्थ समझ पाएंगे।