🕒 Published 2 weeks ago (3:19 PM)
पानीपत | हरियाणा के पानीपत जिले का खुखराना गांव आज प्रदूषण की मार झेलते-झेलते न सिर्फ स्वास्थ्य संकट में है, बल्कि सामाजिक रूप से भी बहिष्कृत-सा हो गया है। हालात यह हैं कि गांव के युवाओं को विवाह के लिए रिश्ता तक नहीं मिल रहा, क्योंकि कोई भी अपनी बेटी को इस गांव में ब्याहना नहीं चाहता।
थर्मल और सीमेंट प्लांट ने छीनी खुली हवा
खुखराना गांव के पास ही थर्मल पावर प्लांट और करीब आधा किलोमीटर दूर सीमेंट प्लांट स्थित हैं। इन दोनों इंडस्ट्रियल यूनिट्स से निकलने वाली राख और धूल-मिट्टी पूरे क्षेत्र को प्रदूषित कर रही है।
90% से ज्यादा ग्रामीण आज त्वचा रोग, दमा और टीबी जैसी बीमारियों से ग्रसित हैं। गांव के बुजुर्गों से लेकर छोटे बच्चों तक, कोई भी इस प्रदूषण की चपेट से बचा नहीं है।
शादी के लिए नहीं मिल रहे रिश्ते
गांव के युवक आज एक अलग ही सामाजिक बहिष्कार का सामना कर रहे हैं। स्वास्थ्य संकट के चलते कोई भी परिवार इस गांव में बेटी की शादी करने को तैयार नहीं है।
केवल उन्हीं युवाओं के रिश्ते हो पा रहे हैं, जो सरकारी नौकरी में हैं या गांव से बाहर जाकर बस चुके हैं। एक ग्रामीण ने बताया, “हमारे बेटे अच्छे, पढ़े-लिखे हैं, लेकिन यहां के हालात देखकर लोग रिश्ता करने से मना कर देते हैं।”
भूमिगत जल दूषित, जमीन धंसने का खतरा
थर्मल पावर प्लांट से निकलने वाली राख को सीमेंट प्लांट में भेजा जाता है, और इसे राख झील (ऐश पॉन्ड) में स्टोर किया जाता है। इसमें पानी डाला जाता है, जिससे भूमिगत जल स्तर असामान्य रूप से बढ़ गया है।
इससे न केवल पीने का पानी दूषित हो गया है, बल्कि गांव में जमीन धंसने का खतरा भी मंडरा रहा है। कई घरों में दीवारों में दरारें और नींव में कमजोरी आने लगी है।
2012 में मिला था पुनर्वास का आदेश, आज भी अधूरी फाइलों में दबा
साल 2012 में तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने खुखराना गांव को दूसरी जगह स्थानांतरित करने का आदेश दिया था।
नई जगह भी आवंटित हो चुकी थी, लेकिन गुटबाजी और सरकारी सुस्ती की वजह से यह प्रक्रिया आज तक अधूरी है। ग्रामीणों का कहना है कि हर बार केवल आश्वासन मिलता है, लेकिन जमीनी हकीकत में कोई बदलाव नहीं होता।
ग्रामीणों की मांग – जल्द हो पुनर्वास, मिले स्वच्छ जीवन
गांववालों ने सरकार से मांग की है कि –
- स्थानांतरण की प्रक्रिया में तेजी लाई जाए
- प्रदूषण नियंत्रण के लिए आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल हो
- गांव में स्वच्छ पेयजल और स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं