🕒 Published 2 days ago (8:59 AM)
नई दिल्ली। केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनधारकों के लिए 8वें वेतन आयोग को लेकर चर्चाएं तेज़ हैं, लेकिन इसके लागू होने की संभावनाएं फिलहाल कमजोर नजर आ रही हैं। मौजूदा हालात को देखते हुए, यह आयोग जनवरी 2026 तक भी अमल में नहीं आ पाएगा।
अब तक नहीं हुई कोई आधिकारिक घोषणा
जहां 7वां वेतन आयोग फरवरी 2014 में गठित हुआ था और जनवरी 2016 से लागू हो गया था, वहीं 8वें वेतन आयोग को लेकर अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा सामने नहीं आई है। कर्मचारियों की यूनियनें लगातार यह मांग कर रही हैं कि समय रहते आयोग का गठन किया जाए, ताकि रिपोर्ट समय पर तैयार होकर लागू हो सके।
देरी के पीछे की वजहें
सरकारी सूत्रों का कहना है कि इस मुद्दे पर आंतरिक विचार-विमर्श चल रहा है, लेकिन नौकरशाही प्रक्रिया, राजनीतिक प्राथमिकताएं, चुनावी घोषणाएं, सामाजिक कल्याण योजनाएं और राजकोषीय अनुशासन जैसे कारण इसकी राह में रुकावट बन रहे हैं। अनुमान है कि आयोग 2026 के अंत तक या 2027 की शुरुआत में ही लागू हो सकेगा।
फिटमेंट फैक्टर से तय होगी सैलरी
8वें वेतन आयोग के तहत कर्मचारियों की सैलरी में बढ़ोतरी के लिए फिटमेंट फैक्टर अहम भूमिका निभाएगा। यह फैक्टर 2.5 से 2.86 के बीच रहने की संभावना है। अगर यह 2.7 तक भी पहुंचता है तो न्यूनतम मूल वेतन 45,000 से 48,000 रुपये तक हो सकता है। हालांकि 2.86 का स्तर आर्थिक दृष्टि से सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
महंगाई भत्ता और पेंशन में भी बदलाव
जनवरी 2025 तक महंगाई भत्ता 55% के करीब पहुंच सकता है। आयोग लागू होने के बाद इसे नए मूल वेतन में समाहित कर दिया जाएगा, जिससे प्रारंभिक DA शून्य होगा लेकिन आगे चलकर बढ़ोतरी का असर ज्यादा दिखेगा। पेंशनर्स के लिए भी यह आयोग महत्वपूर्ण रहेगा, क्योंकि इसमें पेंशन फॉर्मूले में सुधार और DR को मर्ज करने जैसे प्रावधान शामिल किए जा सकते हैं।
कर्मचारियों को करना होगा और इंतजार
हालांकि उम्मीदें कायम हैं कि वेतन संरचना में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा, लेकिन इसकी प्रक्रिया लंबी और पेचीदा हो सकती है। कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को इसके लिए अभी और इंतजार करना पड़ सकता है।