नई दिल्ली: अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में सहकारी बैंक घोटाले को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बड़ी कार्रवाई की है। ईडी ने पूर्व सांसद और कांग्रेस नेता कुलदीप राय शर्मा समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। यह गिरफ्तारी मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA), 2002 के तहत की गई है।
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तीन आरोपियों पर शिकंजा
गिरफ्तार किए गए लोगों में कुलदीप राय शर्मा के अलावा के. मुरुगन, मैनेजिंग डायरेक्टर, ANSCBL और के. कैलैवनन, लोन ऑफिसर, ANSCBL शामिल हैं। कोर्ट ने कुलदीप राय शर्मा और कैलैवनन को 8 दिन की ईडी कस्टडी में भेज दिया है। यह अंडमान-निकोबार में ED की पहली बड़ी कार्रवाई मानी जा रही है।
क्या है पूरा मामला?
ED की जांच अंडमान पुलिस की क्राइम और इकोनॉमिक ऑफेंस ब्रांच की FIR पर आधारित है। आरोप है कि बैंक अधिकारियों ने निजी लोगों के साथ मिलकर फर्जी कंपनियाँ बनाई और नियम तोड़कर 100 से ज्यादा फर्जी लोन अकाउंट खोले। इस धोखाधड़ी से बैंक को करीब 500 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, जिसमें से लगभग 230 करोड़ रुपये कथित रूप से कुलदीप राय शर्मा और उनके करीबियों के हित में दिए गए।
घोटाले का तरीका
जांच में सामने आया कि लोन पास कराने के बदले में लगभग 5% कमीशन लिया जाता था। यह रकम या तो नकद दी जाती थी या फर्जी कंपनियों के लेन-देन के जरिए पहुँचाई जाती थी। बैंक के एमडी और लोन ऑफिसर भी अपने रिश्तेदारों के नाम पर कंपनियाँ बनाकर लोन लेते थे। आरोप है कि यह सब पूर्व सांसद के निर्देश पर किया जा रहा था।
ईडी की छापेमारी
इस मामले में ED ने अंडमान-निकोबार में तीन जगहों पर छापे मारे। इससे पहले जुलाई और अगस्त 2025 में 21 ठिकानों पर भी छापेमारी की गई थी। शुरुआती जांच में पता चला कि बैंक से निकाले गए पैसे अलग-अलग फर्जी कंपनियों के माध्यम से बड़े नेताओं और अधिकारियों तक पहुँचाए जाते थे। एजेंसी की जांच अभी जारी है और आगे और बड़े खुलासे की संभावना है।
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