3 साल पहले अमेरिका ने भारत को कहा था रूसी तेल खरीदने को, अब क्यों हो रहा विरोध?

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By Hindustan Uday

🕒 Published 4 hours ago (8:21 PM)

नई दिल्ली: भारत और रूस के बीच ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग कोई नया मामला नहीं है। लेकिन अब यह सहयोग अंतरराष्ट्रीय राजनीति का केंद्र बिंदु बन चुका है। अमेरिका के हालिया बयानों और नीतियों में आया बदलाव इसे और स्पष्ट कर रहा है।

तीन साल पहले जब यूक्रेन संकट की शुरुआत हुई थी, तब अमेरिका ने खुद भारत को प्रोत्साहित किया था कि वह एक सीमित कीमत पर रूस से तेल खरीदे, ताकि वैश्विक बाजार में तेल की कीमतों में उछाल न आए। लेकिन अब वही अमेरिका भारत को चेतावनी दे रहा है कि अगर उसने रूस से तेल खरीद जारी रखी, तो भारी टैरिफ लगाया जाएगा।

भारत पर अमेरिकी टैरिफ की धमकी

हाल ही में अमेरिकी प्रशासन ने भारत को चेताया है कि रूस से तेल की खरीद पर अतिरिक्त टैरिफ लगाया जाएगा, और यदि यह सहयोग बंद नहीं हुआ तो प्रतिबंध और कड़े हो सकते हैं। राष्ट्रपति ट्रंप के इन बयानों के बाद भारत ने भी स्पष्ट कर दिया है कि वह अपने राष्ट्रीय हितों के आधार पर निर्णय लेगा और रूस के साथ व्यापार जारी रखेगा।

एरिक गार्सेटी की पुरानी टिप्पणी फिर चर्चा में

भारत में अमेरिका के पूर्व राजदूत एरिक गार्सेटी की एक पुरानी वीडियो क्लिप इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। इसमें वह कहते नजर आ रहे हैं कि भारत का रूस से तेल खरीदना अमेरिकी नीति का हिस्सा था। यह बयान 2024 में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान दिया गया था।

गार्सेटी ने कहा था,

“भारत ने रूसी तेल इसलिए खरीदा क्योंकि हम चाहते थे कि कोई तो सीमित दाम पर रूसी तेल खरीदे। यह कोई उल्लंघन नहीं था, बल्कि हमारी नीति का हिस्सा था।”

अब नीति में बदलाव क्यों?

लोग सवाल उठा रहे हैं कि जब पहले भारत की यह रणनीति अमेरिका की योजना का हिस्सा थी, तो अब अमेरिका का रवैया अचानक क्यों बदल गया?

इसका एक बड़ा कारण है अमेरिका में नेतृत्व और नीति परिवर्तन

  • पहले अमेरिका चाहता था कि वैश्विक बाजार में तेल की कीमतें स्थिर रहें, इसलिए उसने भारत जैसे देशों को रूस से तेल खरीदने के लिए प्रेरित किया।

  • लेकिन अब अमेरिका चाहता है कि रूस की अर्थव्यवस्था पर दबाव बनाया जाए और यूक्रेन युद्ध को लेकर रूस को आर्थिक रूप से कमजोर किया जाए।

  • भारत जैसे बड़े उपभोक्ता जब रूस से तेल खरीदते हैं, तो अमेरिका की नई रणनीति को धक्का लगता है।

भारत का जवाब – “हम राष्ट्रीय हित में फैसले लेंगे”

भारत ने अमेरिका की चेतावनी को सिरे से खारिज कर दिया है। विदेश मंत्रालय के अनुसार, भारत ऊर्जा जरूरतों को देखते हुए किसी एक देश के दबाव में नहीं आएगा। भारत रूस से तेल की खरीद जारी रखेगा, क्योंकि यह देश के सस्ती ऊर्जा आपूर्ति और आर्थिक स्थिरता के लिए जरूरी है।

भारत यह भी साफ कर चुका है कि उसने किसी अंतरराष्ट्रीय कानून या प्रतिबंध का उल्लंघन नहीं किया है। भारत के लिए मुख्य प्राथमिकता ऊर्जा सुरक्षा है, न कि किसी देश की सियासी योजना।

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