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रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी, RBI ने ब्याज दरों को 6.5% से घटाकर 6.25% कर दिया है। अब आपके सभी लोन सस्ते हो सकते हैं और EMI भी घटेगी।

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में अपनी मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में बड़ा फैसला लिया है। बैंक ने रेपो रेट को 6.5% से घटाकर 6.25% कर दिया है। यह निर्णय न केवल देश की अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि उन करोड़ों लोगों के लिए राहतभरा है जो किसी न किसी तरह के लोन चुका रहे हैं। इस फैसले से होम लोन, पर्सनल लोन, ऑटो लोन, एजुकेशन लोन सहित कई अन्य लोन पर ब्याज दरें घटेंगी और EMI का बोझ कम होगा।

ब्याज दरों में कटौती का आपके लोन और EMI पर असर

1. होम लोन: जिन लोगों ने होम लोन लिया है, उनकी EMI कम होगी क्योंकि बैंक अब सस्ते दर पर लोन ऑफर करेंगे।

2. पर्सनल लोन: पर्सनल लोन पर ब्याज दरें भी घट सकती हैं, जिससे उधारकर्ताओं को राहत मिलेगी।

3. ऑटो लोन: नई गाड़ी खरीदने वालों के लिए यह बेहतरीन समय हो सकता है क्योंकि ऑटो लोन पर ब्याज दरों में कमी आएगी।

4. बिजनेस लोन: छोटे व्यापारियों और स्टार्टअप्स के लिए यह फैसला फायदेमंद रहेगा क्योंकि सस्ते कर्ज से उन्हें अपने व्यापार को विस्तार देने में मदद मिलेगी।

 

कितना होगा फायदा

लोन राशि (₹) पुरानी ब्‍याज दर (8.5%) नई ब्‍याज दर (8.25%) टेन्योर पुरानी EMI (₹) नई EMI (₹) EMI में बचत (₹)
20 लाख 8.5% 8.25% 20 साल 17,356 17,041 315
30 लाख 8.5% 8.25% 20 साल 26,035 25,562 413
50 लाख 8.5% 8.25% 20 साल 43,391 42603 788

 

इस कटौती से अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

1. बाजार में नकदी प्रवाह बढ़ेगा: लोग अधिक खर्च करने के लिए प्रेरित होंगे, जिससे बाजार में मांग बढ़ेगी।

2. रियल एस्टेट सेक्टर को बढ़ावा मिलेगा: सस्ते होम लोन के चलते मकान खरीदने की प्रवृत्ति बढ़ सकती है।

3. उद्योगों को मिलेगा सपोर्ट: छोटे और मध्यम उद्यमों (SMEs) को सस्ते लोन से व्यापार विस्तार में मदद मिलेगी।

4. बचत दरों पर असर: ब्याज दर कम होने से फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) पर मिलने वाला रिटर्न भी कम हो सकता है।

क्या यह सही समय है लोन लेने के लिए?

अगर आप होम लोन, पर्सनल लोन या ऑटो लोन लेने की योजना बना रहे हैं, तो यह बेहद अनुकूल समय है। बैंक अब प्रतिस्पर्धा के चलते कम ब्याज दरों पर लोन देंगे, जिससे आपकी कुल लागत कम होगी।

लोन लेते समय किन बातों का ध्यान रखें?

1. ब्याज दर की तुलना करें: विभिन्न बैंकों की दरों की तुलना करके सबसे कम ब्याज दर वाला विकल्प चुनें।

2. प्रोसेसिंग फीस और अन्य शुल्क देखें: कई बैंक लोन पर अतिरिक्त शुल्क लगाते हैं, जो आपकी लागत बढ़ा सकते हैं।

3. फ्लोटिंग और फिक्स्ड रेट में अंतर समझें: फ्लोटिंग रेट लोन ब्याज दर में बदलाव के अनुसार घटता-बढ़ता रहता है, जबकि फिक्स्ड रेट स्थिर रहता है।

RBI द्वारा ब्याज दरों में कटौती भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक संकेत है। यह फैसला न केवल मौजूदा लोन धारकों को राहत देगा, बल्कि नए लोन लेने वालों के लिए भी यह सुनहरा अवसर साबित होगा। यदि आप किसी लोन की योजना बना रहे हैं, तो अभी इसका सही समय है। इस निर्णय से भारतीय बाजार और अर्थव्यवस्था को भी नई ऊर्जा मिलेगी।

 

Ankit Kumar

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