मोदी की अमेरिका यात्रा से पहले ट्रंप के झटके – क्या दबाव बनाने की चाल?

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By Pragati Tomer

🕒 Published 4 months ago (5:33 AM)

मोदी की अमेरिका यात्रा से पहले ट्रंप के झटके – क्या दबाव बनाने की चाल?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आगामी अमेरिका यात्रा से पहले, डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने भारत के लिए एक अप्रत्याशित झटका दिया है। अमेरिका ने 104 भारतीय नागरिकों को अपने सैन्य विमान से वापस भेजा, वह भी हाथ और पैरों में बेड़ियों के साथ। यह घटना कई सवाल खड़े कर रही है—क्या यह केवल अवैध प्रवास के खिलाफ एक सामान्य कार्रवाई थी, या फिर ट्रंप प्रशासन का भारत पर दबाव बनाने का एक तरीका?

भारत को क्यों नहीं हुई आपत्ति?

इससे पहले, जब अमेरिका ने कोलंबिया और मेक्सिको के अवैध प्रवासियों को वापस भेजने का प्रयास किया, तो इन देशों ने सैन्य विमान और हथकड़ी वाले व्यवहार का विरोध किया था। कोलंबिया ने तो अपने नागरिकों को लाने के लिए खुद का विमान भेजने तक का फैसला लिया। लेकिन भारत ने इस पर कोई विरोध दर्ज नहीं कराया और इन प्रवासियों को स्वीकार कर लिया।

सामरिक मामलों के विशेषज्ञ ब्रह्मा चेलानी का मानना है कि भारत को अमेरिका से यह स्पष्ट रूप से कहना चाहिए था कि उसके नागरिकों को मानवीय तरीके से भेजा जाए, न कि अपराधियों की तरह हथकड़ी पहनाकर।

जयशंकर की सफाई – भारत ने क्यों किया स्वीकार?

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस पूरे मामले पर संसद में कहा कि अवैध प्रवासन से कई अन्य समस्याएं जुड़ी होती हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत हमेशा से अपने नागरिकों को वापस लेने की जिम्मेदारी निभाता आया है।

जयशंकर का कहना था कि अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे भारतीय बेहद खराब हालात में काम कर रहे थे और उन्हें इस संकट से बाहर निकालना भी ज़रूरी था। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि भारत ने अमेरिकी सरकार से यह अनुरोध किया है कि इस प्रक्रिया में किसी भी नागरिक के साथ अमानवीय व्यवहार न किया जाए।

ट्रंप का संदेश – “बिज़नेस इज़ बिज़नेस”

ट्रंप प्रशासन के इस कदम को लेकर विशेषज्ञों की राय बंटी हुई है। कुछ लोगों का मानना है कि यह अमेरिका की सामान्य प्रवासन नीति का हिस्सा है, जबकि अन्य का मानना है कि यह भारत पर दबाव बनाने का एक तरीका हो सकता है।

ब्रह्मा चेलानी ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “ट्रंप ने साफ कर दिया है कि उन्हें व्यापार से मतलब है। वह भारत के साथ नए व्यापारिक समझौते करने की तैयारी में हैं, लेकिन सवाल यह है कि मोदी अमेरिका से क्या लेकर लौटेंगे?”

क्या यह महज़ संयोग है या रणनीति?

मोदी की अमेरिका यात्रा के ठीक पहले इस तरह की घटना का होना महज़ संयोग नहीं लग रहा। ट्रंप का व्यवहार हमेशा स्पष्ट रहा है—वे पहले अमेरिका के हित को देखते हैं और फिर बाकी देशों को। उनकी नीति “अमेरिका फर्स्ट” किसी से छुपी नहीं है।

अब सवाल यह है कि क्या यह अमेरिका का भारत पर अप्रत्यक्ष दबाव बनाने का तरीका है? क्या ट्रंप प्रशासन भारत को यह संदेश देना चाहता है कि व्यापारिक समझौतों के लिए भारत को उनकी शर्तों पर चलना होगा? और सबसे महत्वपूर्ण, क्या मोदी सरकार इस घटनाक्रम के बाद ट्रंप प्रशासन से कोई ठोस आश्वासन लेगी कि भारतीय नागरिकों के साथ भविष्य में ऐसा व्यवहार नहीं होगा?

मोदी की यात्रा पर सबकी नज़र

प्रधानमंत्री मोदी जल्द ही अमेरिका यात्रा पर जाने वाले हैं। उनकी इस यात्रा से क्या भारत को कोई विशेष व्यापारिक लाभ मिलेगा, या फिर यह यात्रा केवल एक औपचारिकता बनकर रह जाएगी? यह देखना दिलचस्प होगा कि मोदी सरकार इस मुद्दे को ट्रंप प्रशासन के सामने कितनी मजबूती से उठाती है।

अमेरिका-भारत संबंधों पर यह एक बड़ा परीक्षण है। अब यह भारत की कूटनीतिक चाल पर निर्भर करता है कि वह इस झटके से किस तरह निपटता है और क्या वास्तव में मोदी, ट्रंप के साथ इस मुद्दे पर कोई सख्त बातचीत करेंगे?

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