दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 27 साल बाद सत्ता में वापसी की है, जबकि आम आदमी पार्टी (आप) को भारी पराजय का सामना करना पड़ा है। अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में आप ने लगातार तीन बार दिल्ली की सत्ता संभाली थी, लेकिन इस बार कई कारणों से पार्टी को हार का सामना करना पड़ा। आइए, उन प्रमुख कारणों पर नजर डालते हैं:
- शराब घोटाला और भ्रष्टाचार के आरोप: आप सरकार की नई शराब नीति विवादों में घिरी रही। उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने इस नीति पर सवाल उठाए, जिसके बाद केंद्रीय एजेंसियों ने जांच शुरू की। इस मामले में अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी ने उनकी ईमानदार छवि को धूमिल किया और जनता के विश्वास को ठेस पहुंचाई।
- दस वर्षों की सत्ता के बाद एंटी-इनकंबेंसी: लगातार एक दशक तक सत्ता में रहने के बाद, जनता में बदलाव की इच्छा स्वाभाविक होती है। इस बार मतदाताओं ने बदलाव के लिए भाजपा को मौका दिया।
- महंगे सरकारी आवास का मुद्दा: केजरीवाल की सादगीपूर्ण छवि को उनके सरकारी आवास के नवीनीकरण पर हुए करोड़ों रुपये के खर्च ने नुकसान पहुंचाया। भाजपा ने इसे “शीशमहल” का नाम देकर जनता के सामने प्रस्तुत किया, जिससे उनकी सादगी की छवि को आघात पहुंचा।
- यमुना की सफाई में विफलता: पिछले चुनाव में केजरीवाल ने यमुना नदी की सफाई का वादा किया था, लेकिन नदी की स्थिति में कोई खास सुधार नहीं हुआ। छठ पूजा के दौरान यमुना की खराब स्थिति ने सरकार की नाकामी को उजागर किया।
- प्रधानमंत्री मोदी का प्रभाव: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में कई रैलियां कीं, जिनमें उन्होंने विकास और जनता की भलाई के मुद्दों पर जोर दिया। उनकी अपील ने मतदाताओं पर गहरा प्रभाव डाला और भाजपा के पक्ष में माहौल बनाया।
- भाजपा की आकर्षक घोषणाएं: भाजपा ने महिलाओं को 2500 रुपये प्रति माह देने, केजी से पीजी तक मुफ्त शिक्षा जैसी घोषणाएं कीं, जो आप की योजनाओं पर भारी पड़ीं।
- प्रवेश वर्मा को सीएम फेस के रूप में प्रस्तुत करना: भाजपा ने प्रवेश वर्मा को अघोषित रूप से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में प्रस्तुत किया, जिससे जाट समुदाय सहित अन्य वर्गों का समर्थन मिला।
- मध्यम वर्ग के लिए कर राहत: चुनाव से पहले भाजपा ने बजट में 12 लाख रुपये तक की आय पर कर छूट की घोषणा की, जिससे मध्यम वर्ग में खुशी की लहर दौड़ गई और उन्होंने भाजपा के पक्ष में मतदान किया।
- आप के नेताओं का पार्टी छोड़ना: चुनाव से पहले आप के कई प्रमुख नेताओं ने पार्टी छोड़ दी, जिससे पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचा और भाजपा को लाभ मिला।
- भाजपा का मजबूत चुनाव प्रबंधन: भाजपा ने चुनाव प्रचार में पूरी ताकत झोंकी, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी सहित कई प्रमुख नेताओं ने सक्रिय भूमिका निभाई। वहीं, आप का चुनाव प्रबंधन भाजपा के मुकाबले कमजोर रहा।
इन सभी कारणों ने मिलकर आप की हार और भाजपा की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।