🕒 Published 8 hours ago (6:02 PM)
तेजस्वी यादव ने कहा कि उनका नाम भी नई वोटर लिस्ट से गायब है, जबकि उनके पास वैध EPIC (मतदाता पहचान पत्र) है। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में मोबाइल ऐप के माध्यम से “no records found” मैसेज दिखाया उनका ये आरोप था कि यह एक सुनियोजित साजिश है, जिससे गरीबों, दलितों और प्रवासियों के वोटर नाम हटाए जा रहे हैं ताकि उन्हें वोट नहीं डलवाया जा सके
पत्नी (Rajshree Yadav) का उदाहरण
तेजस्वी ने बताया कि उनकी पत्नी, जो दिल्ली की निवासी हैं, उनका नाम पहले ही वोटर लिस्ट में था, लेकिन स्थायी तौर पर बिहार की सूची में शामिल करने के लिए अब पुनः प्रक्रिया करनी पड़ रही है। उन्हें डॉक्यूमेंट जैसे जन्म प्रमाणपत्र आदि साथ लाना पड़ रहा है, जो आम लोगों के लिए कठिन होगा
चुनाव आयोग का जवाब
चुनाव आयोग के अधिकारियों ने यादव की दलील पर स्पष्टीकरण जारी किया, यह कहते हुए कि हो सकता है नाम कटने में तकनीकी कारण हों या प्रक्रिया में सुधार करने की जरूरत हो सकती है भाजपा नेताओं, जैसे गिरिराज सिंह, ने इस मुद्दे को तेजस्वी की राजनीतिक रणनीति बताते हुए उस पर व्यक्तिगत और वैधता प्रश्न उठाए।
क्यों यह मुद्दा राजनीतिक रूप ले चुका है?
ये पूरा विवाद SIR प्रक्रिया को लेकर लोकतांत्रिक पारदर्शिता और निष्पक्षता के दशकों से उठा रहे सवालों को फिर से हवा दे रहा है। विपक्ष ने एक अभियान (यात्रा) की घोषणा की है, जिसे इंडिया ब्लॉक अगस्त की दूसरी क़्वार्टर में शुरू करेगा। इसमे मुख्यतः Tejashwi Yadav, Rahul Gandhi और अन्य नेता शामिल होंगे, ताकि वोटर लिस्ट से हटाए गए नामों के खिलाफ लोगों में जागरूकता फैलाई जा सके
विपक्ष के पास वोट बैंक कम है
दूसरी ओर, NDA नेताओं का आरोप है कि विपक्ष के पास वोट बैंक कम हैं और इसलिए वे वोट चोरी जैसे शब्दों का प्रयोग कर रहे हैं ताकि चुनावी माहौल में बदौलत बनी रहे तेजस्वी यादव ने अपने और अपनी पत्नी के वोटर नाम संबंधी अनुभव को आधार बनाकर चुनाव आयोग और सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने इसे लोकतांत्रिक अधिकारों का उल्लंघन बताते हुए बड़ा राजनीतिक मुद्दा बनाया है, जबकि विपक्ष भाजपा-राजग पर चुनाव को प्रभावित करने की साजिश का आरोप लगा रहा है। चुनाव आयोग की सफाई और तकनीकी स्पष्टीकरण आगे के हालात को स्पष्ट करेंगे।