चीन और पाकिस्तान से निपटना जरूरी लेकिन रक्षा बजट में मामूली बढ़ोतरी….

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By Rita Sharma

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण शनिवार को संसद में जब बजट पेश कर रहीं थीं तो रक्षा क्षेत्र के तमाम जानकारों की निगाहें डिफेंस को लेकर सरकार की योजनाओं को लेकर भी लगी हुई थीं। बजट में रक्षा क्षेत्र के लिए 6,81,210 लाख करोड़ रुपये अलॉट किए गए हैं।जानकारों का मानना है कि ये पिछले साल दिए गये बजट से थोड़ा सा ही ज्यादा है, जबकि रक्षा के क्षेत्र में भारत को और काम करने के लिए ज्यादा बजट की जरूरत है। पिछले साल बजट में रक्षा मंत्रालय को 6.21 लाख करोड़ रुपये दिए गए थे। डिफेंस को इस बार दिए गए बजट में 180, 000 करोड़ रुपये डिफेंस सर्विसेज के व्यय के लिए ही हैं। डिफेंस का पूंजीगत व्यय 1 लाख 92 हजार 387 करोड़ रुपये आंका गया है। इसके अलावा राजस्व व्यय 4 लाख 88 हजार 822 करोड़ रुपये रखा गया है। इसमें पेंशन के लिए 1 लाख 60 करोड़ 795 करोड़ रुपये भी शामिल हैं।

विमान और एयरो इंजन के लिए 48,614 करोड़ रुपये अलग रखे गए हैं। नौसेना बेड़े के लिए 24,390 करोड़ रुपये दिए गए हैं। 2024-25 में सरकार ने रक्षा बजट के लिए 6 लाख 21 हजार 940 करोड़ रुपये आवंटित किए थे। इसमें पूंजीगत व्यय 1लाख 72,000 करोड़ रुपये निर्धारित किया गया था।

डिफेंस में आत्मनिर्भरता पर जोर
देश की सरकार डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भरता पर जोर दे रही है। बीते वित्त वर्ष के दौरान आत्मनिर्भरता प्राप्त करने की दिशा में काफी प्रयास किए गए और ये प्रयास सफल भी होते दिखे। इस दौरान डिफेंस मिनिस्ट्री ने रिकॉर्ड 1.26 लाख करोड़ रुपये का उत्पादन किया। साथ ही डिफेंस एक्सपोर्ट 21,083 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। टाटा एयरक्राफ्ट कॉम्प्लेक्स को शुरू करना और भारत में बने हल्के टैंक जोरावर को शामिल किया जाना ये बताता भी है।

हालांकि इस बार रक्षा बजट का सिर्फ 27.66 फीसदी पूंजीगत व्यय के लिए अलॉट किया गया था। इसका ज्यादातर भाग पर्सनल एक्सपेंडीचर के लिए बचा था। देश में बने इक्विपमेंट्स के लिए पूंजीगत व्यय को बढ़ाकर खरीद बजट का 75 प्रतिशत किया गया। हालांकि जानकारों का कहना है कि रिसर्च और विकास के लिए ज्यादा भारत के रक्षा विभाग को ज्यादा अलॉटमेंट की जरूरत है। जानकारों का कहना है कि डिफेंस सेक्टर अपने बजट का मात्र एक प्रतिशत आरएंडडी पर खर्च कर पाता है जबकि अमेरिका में यह 13 फीसदी है। ऐसे में भारत के सामने चीन और पाकिस्तान को लेकर भी अक्सर चुनौतियां सामने बनी रहती हैं।

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