निर्जला एकादशी 6 जून 2025 : अपार पुण्य और मोक्ष का मार्ग है निर्जला उपवास

Photo of author

By Sunita Singh

🕒 Published 4 days ago (12:59 PM)

नई दिल्ली: इस बार निर्जला एकादशी का व्रत 6 जून को मनाया जा रहा है। यह व्रत ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है । निर्जला एकादशी व्रत सबसे कठिन व्रतों में माना जाता है लेकिन इसका फल मोक्ष तक की राह खोल देता है। इस व्रत के दिन पूरे दिन जल का सेवन नहीं किया जाता। इसीलिए इसे ‘निर्जला’ (बिना जल) एकादशी कहा जाता है।

क्या है निर्जला एकादशी का महत्व?

बता दें कि हिंदू पंचाग के अनुसार साल में 24 एकादशी आती और सभी एकादशियों का अपना एक महत्व है लेकिन निर्जला एकादशी को सबसे अधिक महता है। मान्यता है कि अकेले निर्जला एकादशी का व्रत सभी एकादशियों का पुण्य देता है।
निर्जला एकादशी को ‘भीमसेनी एकादशी’ के साथ ही ‘पांडव एकादशी’ भी कहा जाता है। जिसके पीछे एक पौराणिक कथा भी है कहते हैं कि महाभारत के दौरान भीम को बहुत भूख लगती थी वे सभी 24 एकादशियों का उपवास नहीं रख सकते थे।

निर्जला एकादशी को पांडव एकादशी भी कहते हैं

इसी के परिणामस्वरूप उन्होंने महर्षि वेदव्यास से पूछा कि सभी एकादशियों का पुण्य एक साथ कैसे पाया सकता तो महर्षि वेदव्यास ने उन्हें निर्जला एकादशी का व्रत रखने को कहा। जिसके बाद भीम ने यह व्रत किया, परंतु व्रत के आखिर तक वे अत्यधिक थकावट से बेहोश हो गए। उनके भाईयों ने तुलसी जल और चरणामृत से भीम को होश में लाए जीवित। भीम के साथ ही सभी पांडवों ने यह व्रत रखा इसीलिए इसको पांडव एकादशी भी कहते हैं।

भूखे गरीबों और जरूरतमंदों की सहायता करें

निर्जला एकादशी के व्रत में एकादशी को सूर्योदय से लेकर द्वादशी को सूर्य निकलने से पहले उठकर स्नान करें । उसके बाद ब्राह्मणों को दान दक्षिणा दें। फिर भूखे गरीबों और जरूरतमंदों की सहायता करें। इस प्रकार से आपकों 24 एकादशियों के उपवास का पुण्य मिलता है।

 

Leave a Comment